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अमृत जस जुग लाल कौ
अमृत जस जुग लाल कौ, या बिनु अँचौ न आन।मो रसना करिबो करो, याही रस को पान॥
हरिव्यास देव
हेली तिल तिल कंत रै
हेली तिल तिल कंत रै, अंग बिलग्गा खाग।हूँ बलिहारी नीमड़ै, दीधौ फेर सुहाग॥
सूर्यमल्ल मिश्रण
रे मन प्रभुता काल की
रे मन प्रभुता काल की, करहु जतन है ज्यों न।तू फिरि भजन-कुठार सों, काटत ताहीं क्यों न॥
ध्रुवदास
बात-झूलि रे सुमन यों
बात-झूलि रे सुमन यों, निज श्री-भूलि न फूलि।काल कुटिल कौ कर निरखि, मिलन चहत तैं धूलि॥
दुलारेलाल भार्गव
सुआरथ के सब मीत रे
सुआरथ के सब मीत रे, पग-पग विपद बढ़ाय।पीपा गुरु उपदेश बिनुं, साँच न जान्यो जाय॥
संत पीपा
जागो रे अब जागो भैया
जागो रे अब जागो भैया, सिर पर जम की धार।ना जानूँ कौने घरी, केहि ले जैहै मार॥
मलूकदास
तुका राम बहु मीठा रे
तुका राम बहु मीठा रे, भर राखूं शरीर।तन की करुं नाब री, उतारूँ पैल तीर॥
संत तुकाराम
बाग़ों ना जा रे ना जा
बाग़ों ना जा रे ना जा, तेरी काया में गुलज़ार।सहस-कँवल पर बैठ के, तू देखे रूप अपार॥
कबीर
तुका दास तिनका रे
तुका दास तिनका रे, राम भजन नित आस।क्या बिचारे पंडित करो रे, हात पसारे आस॥